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Pitru Paksha 2025 : चंद्र ग्रहण के साये में शुरू हुआ पितृ पक्ष, प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर को, जानें पितरों की पूजा की संपूर्ण विधि

Pitru Paksha 2025

आइए जानते हैं 8 सितंबर को होने वाले प्रतिपदा श्राद्ध और पितरों की पूजा की संपूर्ण विधि।

Pitru Paksha 2025 : डेस्क न्यूज। सनातन धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखने वाला पितृ पक्ष आज, 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू हो गया है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है, लेकिन धार्मिक विद्वानों के अनुसार, ग्रहण का श्राद्ध कर्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह सोलह दिवसीय अवधि 21 सितंबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के साथ समाप्त होगी। पितृ पक्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा और ऋण उतारने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म किए जाते हैं, जो न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति दिलाते हैं। आइए जानते हैं 8 सितंबर को होने वाले प्रतिपदा श्राद्ध और पितरों की पूजा की संपूर्ण विधि।


पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हमारे शरीर में प्रवाहित रक्त में पितरों के अंश होते हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी हैं। श्राद्ध कर्म के माध्यम से यह ऋण उतारा जाता है। इस साल 7 सितंबर से शुरू होने वाले पितृ पक्ष में 8 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध होगा। श्राद्ध दोपहर 12 बजे के बाद, विशेष रूप से कुतुप और रोहिणी मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है। इस दौरान योग्य ब्राह्मण को घर बुलाकर मंत्रों के साथ पूजा और तर्पण किया जाता है, और गाय, कुत्ते, कौवे, देवता और चींटी के लिए भोजन निकाला जाता है।


पितृ पक्ष में तर्पण की विधि:

तर्पण, यानी पितरों को जल अर्पित करने की प्रक्रिया, अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक पीतल या स्टील की परात में शुद्ध जल, काले तिल और थोड़ा दूध डालें। परात को सामने रखें और एक खाली पात्र पास में रखें। दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे के बीच दूर्वा (कुशा) लेकर अंजलि बनाएं और जल भरें। इस जल को खाली पात्र में डालते हुए अपने पितरों का स्मरण करें। प्रत्येक पितृ के लिए कम से कम तीन बार तर्पण करें। यह प्रक्रिया पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करती है।


घर पर श्राद्ध की विधि:

श्राद्ध के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर की साफ-सफाई कर गंगाजल छिड़कें। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बाएं घुटने को जमीन पर टिकाकर बैठें। एक तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध और गंगाजल डालें। जल को दोनों हाथों से भरकर दाहिने अंगूठे से उसी बर्तन में डालें और पितरों का स्मरण करें। पितरों के लिए खीर बनाएं और योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं। भोजन से पहले पंचबली (गाय, कुत्ता, कौवा, देवता, चींटी) के लिए भोजन निकालें। भोजन के बाद ब्राह्मण के पैर धोएं और दान देकर उनका आशीर्वाद लें।


पितृ पक्ष में इन नियमों का पालन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और कर्ता को पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दौरान मांसाहार, नशा और अन्य तामसिक कार्यों से बचना चाहिए। धार्मिक विद्वानों का कहना है कि पितृ पक्ष में श्रद्धा और विधि-विधान से किए गए कर्म न केवल पितरों को तृप्त करते हैं, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि भी लाते हैं।

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