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MP News : करोड़ों के राशन घोटाले का खुलासा, 33 लोगों पर FIR, 4 सरकारी कर्मचारी भी शामिल

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MP News : जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में राशन वितरण प्रणाली में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिला प्रशासन ने 2 करोड़ 20 लाख 12 हजार 460 रुपये मूल्य के खाद्यान्न की हेराफेरी के आरोप में 11 राशन दुकानों के 29 संचालकों और 4 सरकारी कर्मचारियों सहित कुल 33 लोगों के खिलाफ क्राइम ब्रांच थाने में FIR दर्ज की है। यह कार्रवाई कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर की गई है।


MP News : घोटाले का विवरण


जांच में पता चला कि 31 अगस्त 2022 से 31 अक्टूबर 2022 के बीच, राशन दुकानों से लाभार्थियों को राशन वितरित किए बिना ही प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीन और AePDS पोर्टल के माध्यम से स्टॉक को अवैध रूप से कम दिखाया गया। इस दौरान 391.78 मीट्रिक टन गेहूं, 338.789 मीट्रिक टन चावल, 3.027 मीट्रिक टन नमक और 0.97 मीट्रिक टन शक्कर गायब कर दी गई। यह गबन स्टेट एडमिन लॉगिन का दुरुपयोग कर किया गया, जिससे राशन को कालाबाजारी में बेचने का संदेह है।


MP News : जांच और कार्रवाई


मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने NIC हैदराबाद से जांच कराई, जिसके निष्कर्षों ने घोटाले की पुष्टि की। जांच में सामने आया कि 11 राशन दुकानों के संचालकों और चार सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर यह गड़बड़ी की। इनमें तत्कालीन जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भावना तिवारी और सुचिता दुबे, साथ ही डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के अक्षय कुमार खरे शामिल हैं। इनके लॉगिन और IP एड्रेस का उपयोग कर पोर्टल पर फर्जी ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। क्राइम ब्रांच ने सभी 33 आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।


MP News : घोटाले का पर्दाफाश कैसे हुआ


यह मामला तब सामने आया जब उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं (क्रमांक 14701/2023 और 20270/2023) में राशन दुकानों के स्टॉक एडजस्टमेंट की मांग की गई। जांच में पाया गया कि लाभार्थियों को राशन दिए बिना ही पोर्टल पर स्टॉक को समायोजित कर दिया गया था। इस गड़बड़ी में शामिल दुकानों का भौतिक सत्यापन करने पर भारी मात्रा में स्टॉक की कमी पाई गई, जिसके बाद NIC हैदराबाद की तकनीकी जांच ने पूरे घोटाले का खुलासा किया।

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