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Bengaluru Stampede: फ्री एंट्री सोचकर लाखो लोग पहुंचे', कर्नाटक सरकार ने कोर्ट को बताया; अब इस दिन सुनवाई

Bengaluru Stampede

Bengaluru Stampede: बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और मामले को स्वत: संज्ञान रिट याचिका के रूप में पंजीकृत करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 10 जून, मंगलवार को निर्धारित की गई। कोर्ट ने जोर दिया कि बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) और आपातकालीन सुविधाओं जैसे एम्बुलेंस व नजदीकी अस्पतालों की जानकारी अनिवार्य होनी चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की पीठ ने सुनवाई की।


महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने बताया कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की आईपीएल जीत के जश्न में मुफ्त प्रवेश की घोषणा के कारण लगभग 2.5 लाख लोग स्टेडियम पहुंचे, जबकि इसकी क्षमता केवल 35,000 है। इससे भारी भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को विरोधात्मक रूप से नहीं देख रही, बल्कि चूकों को समझकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रयास कर रही है। सुरक्षा के लिए 1,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे, लेकिन स्थिति अनियंत्रित हो गई। एम्बुलेंस मौजूद थीं, लेकिन इतनी बड़ी आपात स्थिति के लिए अपर्याप्त थीं।


वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट से अनुरोध किया कि तथ्यों को बिना दोषारोपण के देखा जाए। उन्होंने बताया कि 21 में से केवल तीन गेटों पर भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक के घायल होने की घटनाएं हुईं। सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी है, जो 15 दिनों में पूरी होगी। सभी पक्षों, जिसमें आयोजन प्रबंधन एजेंसी भी शामिल है, को नोटिस जारी किए गए हैं। जांच में पारदर्शिता के लिए गवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी।


याचिकाकर्ता अधिवक्ता लोहित ने चार सवाल उठाए: आयोजन का प्राधिकार किसका था? खिलाड़ियों को सम्मानित करने की जिम्मेदारी सरकार की क्यों? कार्यक्रम दो स्थानों पर क्यों आयोजित हुआ? और सुरक्षा इंतजाम क्या थे? अधिवक्ता जी आर मोहन ने बताया कि मुफ्त प्रवेश की घोषणा आईपीएल फ्रेंचाइजी ने की थी, और केवल तीन गेट खोलने से अराजकता बढ़ी। वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणा श्याम ने स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग की। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेंगलुरु शहरी उपायुक्त को जांच सौंपी है।

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