Chandra Barot: अमिताभ बच्चन को 'DON' बनाने वाले फिल्म निर्देशक चंद्र बरोट का निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार

Chandra Barot : मुंबई : हिंदी सिनेमा के लिए एक दुखद क्षण है। मशहूर फिल्म निर्देशक चंद्र बरोट, जिन्होंने 1978 में क्लासिक फिल्म ‘डॉन’ का निर्देशन कर सिनेमा इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी थी, अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने रविवार सुबह 86 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उम्रजनित बीमारियों से जूझ रहे थे।
उनके निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है। कई फिल्मी सितारों और निर्देशकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी है। निर्देशक और अभिनेता फरहान अख्तर ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “यह सुनकर बेहद दुख हुआ कि ओरिजिनल डॉन के डायरेक्टर अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके परिवार और प्रियजनों के लिए मेरी गहरी संवेदनाएं।”
‘डॉन’ से रचा था इतिहास
चंद्र बरोट भले ही ज्यादा फिल्में निर्देशित नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई जो दशकों बाद भी दर्शकों के दिलों में ज़िंदा है। डॉन न केवल बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही, बल्कि इसने अमिताभ बच्चन को एक नए मुकाम पर पहुंचाया और ‘डॉन’ को पॉप कल्चर आइकन बना दिया।
फिल्म की स्टाइलिश प्रस्तुति, दमदार कहानी और बेमिसाल संगीत ने दर्शकों को उस दौर में भी चौंका दिया था। चंद्र बरोट की यह फिल्म आज भी सिनेप्रेमियों के बीच चर्चा में रहती है। 2006 में फरहान अख्तर ने ‘डॉन’ को एक नए रूप में पेश किया और उसे एक सफल फ्रेंचाइजी में बदल दिया, लेकिन इसके मूल स्वरूप की यादें आज भी अमिट हैं।
निर्देशक से लेकर फिल्मकार तक का सफर
चंद्र बरोट ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की थी। उन्होंने कई वर्षों तक इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ काम कर अनुभव अर्जित किया। ‘डॉन’ उनके निर्देशन करियर की पहली फिल्म थी, और इस एक ही फिल्म ने उन्हें एक सशक्त निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया। हालांकि ‘डॉन’ के बाद उनकी कुछ और फिल्में आईं, लेकिन उन्हें पहले जैसी सफलता नहीं मिल सकी। इसके बावजूद, उनका योगदान हिंदी सिनेमा के इतिहास में अमूल्य है।
सिनेमा जगत में शोक की लहर
चंद्र बरोट के निधन पर बॉलीवुड के कई कलाकारों और फिल्मकारों ने सोशल मीडिया पर दुख जताया है। हर कोई उनकी फिल्म ‘डॉन’ को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। उनकी रचनात्मकता, सादगी और निर्देशन शैली हमेशा याद रखी जाएगी। उन्होंने यह साबित किया कि एक महान फिल्म बनाने के लिए बड़ी संख्या नहीं, बल्कि गहरी सोच और दृढ़ दृष्टि की आवश्यकता होती है।