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उत्तराखंड के ‘घोस्ट विलेज’ में बजेगी शहनाई, सरकार बनाएगी लग्जरी वेडिंग डेस्टिनेशन, रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

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इस परियोजना का जिम्मा उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड (यूआईडीबी) को सौंपा गया है, जो पायलट प्रोजेक्ट के जरिए इन गांवों की संभावनाओं को परखेगा।

Uttarakhand News : देहरादून। उत्तराखंड के उन ‘घोस्ट विलेज’ (भुतहा गांवों) में, जो पलायन की मार से वीरान हो चुके हैं, जल्द ही शहनाई और ढोल-दमाऊं की गूंज सुनाई देगी। राज्य सरकार ने इन खाली पड़े गांवों को लग्जरी वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। पहले चरण में 10 ऐसे गांवों का चयन किया जाएगा, जहां बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस परियोजना का जिम्मा उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड (यूआईडीबी) को सौंपा गया है, जो पायलट प्रोजेक्ट के जरिए इन गांवों की संभावनाओं को परखेगा।


पीएम मोदी की अपील से मिली प्रेरणा-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरकाशी के हर्षिल प्रवास के दौरान देश-विदेश के लोगों से उत्तराखंड में शादी समारोह आयोजित करने की अपील की थी। इस अपील के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को वेडिंग डेस्टिनेशन विकसित करने की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उत्तराखंड में वर्तमान में करीब 100 घोस्ट विलेज हैं, जो पलायन के कारण पूरी तरह या आंशिक रूप से खाली हो चुके हैं। यूआईडीबी इन गांवों को लग्जरी वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में तब्दील करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।


प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का लाभ-

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध हैं। सरकार इन इलाकों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रिवर्स पलायन को बढ़ावा देना चाहती है। इन गांवों में वैवाहिक आयोजनों के लिए जरूरी सुविधाएं जैसे रिसॉर्ट, गेस्ट हाउस, और इवेंट स्थल विकसित किए जाएंगे। इससे स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। रुद्रप्रयाग के त्रियुगीनारायण मंदिर जैसे क्षेत्र पहले से ही शादियों के लिए लोकप्रिय हैं, और अब आसपास के घोस्ट विलेज को भी इस तरह विकसित करने की योजना है।


कहां बढ़ रही है डेस्टिनेशन वेडिंग की रौनक-

पिछले कुछ समय में उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। रामनगर, भीमताल, ऋषिकेश, टिहरी झील क्षेत्र, अल्मोड़ा, रानीखेत, कौसानी, बसौली, विनसर, कसारदेवी, और धनोल्टी जैसे इलाकों में वैवाहिक आयोजनों की संभावनाएं देखी जा रही हैं। खासकर त्रियुगीनारायण मंदिर को वैदिक पर्यटन गांव के रूप में विकसित करने की योजना है, जो आध्यात्मिक और पारंपरिक शादियों के लिए मशहूर है।


रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल-

यूआईडीबी की एमडी आर. मीनाक्षीसुंदरम ने बताया कि घोस्ट विलेज को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इन गांवों में होटल, कैटरिंग, ट्रांसपोर्ट, और इवेंट मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही, स्थानीय हस्तशिल्प और सांस्कृतिक प्रदर्शनों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पलायन रुकेगा और लोग अपने गांवों में वापस लौटने के लिए प्रेरित होंगे। इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए मजबूत रणनीति बनाई जा रही है, और जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे।

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