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Mig-21 Bison: बालाकोट एयरस्ट्राइक विंग कमांडर अभिननंद वर्धमान जिस फाइटर जेट से मार गिराया था पाकिस्तान का F-16, अब वायुसेना से हो रहा है रिटायर

Mig-21 Bison

इस समय सेना में मिग-21 की 3 स्क्वाड्रन (बाइसन वेरिएंट) एक्टिव है, जिन्हें सितंबर में महीने में हटा दिया जाएगा।

Mig-21 Bison: नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना ने अपने सबसे पुराने लड़ाकू विमान को रिटायर करने का फैसला कर लिया है। एयरफोर्स की तरफ से सितंबर में मिग-21 लड़ाकू विमानों की सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। सितंबर में ही चंडीगढ़ एयरबेस पर विदाई कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। साल 2019 में जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ बालाकोट एयरस्ट्राइक की थी,तो उसके बाद इसी मिग-21 विमान को विंग कमांडर अभिननंद वर्धमान उड़ा रहे थे।


विंग कमांडर ने इसी मिग ग-21 विमान से पाकिस्तान के अमेरिका निर्मित F-16 जैसे विमान को मार गिराया था। इस दौरान ऑफिशियल तौर पर इन विमानों को रिटायर किया जाएगा। बता दें, भारतीय सेना में मिग-21 लड़ाकू विमानों की एंट्री आज से ठीक 62 साल पहले हुई थी। इस समय सेना में मिग-21 की 3 स्क्वाड्रन (बाइसन वेरिएंट) एक्टिव है, जिन्हें सितंबर में महीने में हटा दिया जाएगा।


62 साल रहा भारतीय सेना का हिस्सा-

मिग-21 ने भारतीय वायुसेना के बेड़े में 1963 में शामिल हुआ था और तब से यह हर बड़े युद्ध और ऑपरेशन का हिस्सा रहा। 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध, 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, 1999 का कारगिल युद्ध और हाल ही में 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक हर मोर्चे पर इस फाइटर जेट ने अपनी ताकत दिखाई।


वायुसेना का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था मिग-21-

मिग-21 वायुसेना का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था, जिसने 1960 और 70 के दशक में भारत को तकनीकी बढ़त दी। एक वक्त ऐसा था जब भारत के पास मिग-21 परिवार के 850 से ज्यादा विमान थे, जिनमें से 600 से ज्यादा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत में ही बनाए थे।


भव्य समारोह में दी जाएगी मिग-21 को विदाई-

चंडीगढ़ एयरबेस पर होने वाले विदाई समारोह में मिग-21 का फ्लाई-पास्ट और स्टैटिक डिस्प्ले भी होगा, ताकि यह लड़ाकू विमान हमेशा के लिए भारतीय सैन्य इतिहास में दर्ज हो जाए. भले ही मिग-21 अब उड़ान नहीं भरेगा, लेकिन इसकी कहानियां आने वाली पीढ़ियों को भारत के साहस, तकनीकी विकास की याद दिलाती रहेंगी।


क्यों किया जा रहा मिग-21 को रिटायर-

मिग-21 फाइटर जेट के रिटायर होने के पीछे के कई कारण बताए जा रहे हैं। हालांकि इनमें सबसे बड़ा कारण लगातार हादसों का सामने आना माना जा रहा है। तकनीक पुरानी होने और हादसों के कारण इसे फ्लाइंग कॉफिन कहा जाने लगा। कई पायलटों ने इसे उड़ाते हुए अपनी जान गंवाई हैं। फिर भी यह विमान कई पायलटों के लिए ट्रेनिंग और लड़ाकू अनुभव का अहम हिस्सा रहा है।


 कौन लेगा मिग-21 की जगह-

अब मिग-21 की जगह धीरे-धीरे स्वदेशी तेजस Mk-1A विमान लेंगे, लेकिन तेजस की डिलीवरी में देरी के कारण मिग-21 को कई बार लाइफ एक्सटेंशन देकर उड़ान में बनाए रखा गया, इसके रिटायर होने के बाद वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन की संख्या सिर्फ 29 रह जाएगी, जो पिछले कई दशकों में सबसे कम है।

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