CG liquor scam: सुप्रीम कोर्ट ने भूपेश बघेल की याचिका खारिज की, जारी रहेगी ED की जांच

- Pradeep Sharma
- 11 Aug, 2025
CG liquor scam: नई दिल्ली/रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की
CG liquor scam: नई दिल्ली/रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की आगे की जांच करने की शक्ति को चुनौती दी थी।
CG liquor scam: याचिका में बघेल ने मांग की थी कि PMLA की धारा 44 (Section 44 of PMLA) को ‘रीड डाउन’ किया जाए और पहली शिकायत दर्ज होने के बाद ED सिर्फ विशेष परिस्थितियों में, अदालत की अनुमति और जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ ही आगे जांच कर सके।
CG liquor scam: मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांतऔर जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि इस प्रावधान में कोई खामी नहीं है। जस्टिस बागची ने साफ कहा,गलती कानून में नहीं, बल्कि उसके गलत इस्तेमाल में है।
CG liquor scam: उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच अपराध के संबंध में होती है, न कि केवल आरोपी के खिलाफ। सच्चाई तक पहुंचना ही जांच का उद्देश्य है और इस प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं डाली जा सकती।
CG liquor scam: कपिल सिब्बल ने उठाई ट्रायल में देरी की चिंता
सुनवाई के दौरान भूपेश बघेल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ED बार-बार पूरक शिकायत दर्ज करती है, जिससे ट्रायल में देरी होती है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आगे की जांच कई बार आरोपी के हित में भी हो सकती है, बशर्ते इसका दुरुपयोग न हो।
CG liquor scam: ED को अनुमति लेनी चाहिए, लेकिन…
जस्टिस बागची ने यह भी कहा कि आगे की जांच के लिए ED को विशेष PMLA कोर्ट से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए। अगर एजेंसी ऐसा नहीं कर रही है, तो समस्या कानून में नहीं, बल्कि उसके पालन में है।
CG liquor scam: याचिका खारिज, हाईकोर्ट का रास्ता खुला
सुप्रीम कोर्ट ने बघेल की याचिका खारिज करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की छूट दी। कोर्ट ने याद दिलाया कि विजय मदनलाल चौधरी केस में पहले ही कहा गया है कि कोर्ट की अनुमति से आगे के सबूत लाए जा सकते हैं। अगर ED ने इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है, तो आरोपी सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।