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Waqf Amendment Act 2025: वक्फ एक्ट के प्रमुख प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन होगी सुनवाई,अंतरिम आदेश पारित कर सकती है पीठ


Waqf Amendment Act 2025: नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 से अधिक याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन गुरुवार 17 अप्रैल को भी सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इस कानून के तीन प्रमुख पहलुओं पर गंभीर चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन शामिल थे, ने इस मामले में अंतरिम आदेश पारित करने की मंशा जाहिर की, लेकिन केंद्र सरकार के अनुरोध पर इसे गुरुवार तक के लिए टाल दिया गया।
'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों का दर्जा:
कोर्ट ने इस प्रावधान पर सवाल उठाया, जिसमें 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों, जिन्हें पहले कोर्ट के आदेशों के तहत वक्फ घोषित किया गया था, को इस नए कानून के तहत अमान्य करने की बात कही गई है। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ऐसी संपत्तियों को डिनोटिफाई करना "बड़ी समस्या" पैदा कर सकता है, क्योंकि कई मस्जिदें और अन्य धार्मिक संपत्तियां सदियों पुरानी हैं और उनके पास औपचारिक पंजीकरण दस्तावेज नहीं हो सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी संपत्तियों का दर्जा, जो पहले से वक्फ के रूप में मान्य हैं, बदला नहीं जाना चाहिए।
वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति:
नए कानून में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है, जिसे कोर्ट ने धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ माना। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, "क्या आप हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति देंगे?" कोर्ट ने सुझाव दिया कि बोर्ड और काउंसिल के स्थायी सदस्यों को मुस्लिम होना चाहिए, हालांकि एक्स-ऑफिशियो सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
कलेक्टर को दी गई शक्तियां:
नए कानून के तहत, यदि जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी जमीन के रूप में पहचानता है, तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, जब तक कि कोर्ट इसका अंतिम निर्णय न दे। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताई और कहा कि कलेक्टर की जांच के दौरान संपत्ति का वक्फ दर्जा खत्म नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने प्रस्ताव दिया कि कलेक्टर जांच कर सकता है, लेकिन उसका प्रभाव तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि अंतिम निर्णय न हो।
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