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Bulldozer action at Mahamaya Pahad: महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई, 40 घर ध्वस्त, हाईकोर्ट ने लगाई रोक रोक


Bulldozer action at Mahamaya Pahad: अंबिकापुर: अंबिकापुर शहर के समीप स्थित महामाया पहाड़ के वन क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन ने सोमवार को बड़े पैमाने पर कार्रवाई की। वन विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने बुलडोजर के माध्यम से 40 घरों को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई वन विभाग द्वारा जारी की गई नोटिस के बाद की गई, जिसमें अतिक्रमणकारियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर कब्जा हटाने के लिए कहा गया था। महामाया पहाड़ पर वर्षों से स्थानीय और बाहरी लोग अतिक्रमण कर रहे थे, जिससे वन विभाग को कई बार कार्रवाई करने की कोशिश करनी पड़ी। हालांकि, राजनीतिक दबाव और स्थानीय विरोध के कारण यह कार्यवाही कई सालों तक लंबित रही। 2023 में भाजपा सरकार बनने के बाद इस मुद्दे को फिर से उठाया गया, और वन मंत्री केदार कश्यप ने कार्रवाई के निर्देश दिए।
Bulldozer action at Mahamaya Pahad: विरोध प्रदर्शन और प्रशासन की कार्यवाही
17 जनवरी को वन विभाग ने 182 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया था, और 20 जनवरी को कार्रवाई की योजना बनाई थी। प्रशासन ने 500 पुलिसकर्मियों और अन्य विभागों के कर्मचारियों के साथ कार्रवाई की शुरुआत की। इस दौरान अतिक्रमणकारियों ने विरोध जताया, और कांग्रेस नेता समेत कई अन्य लोग जेसीबी के सामने धरने पर बैठ गए। हालांकि, पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें हटाया और कार्रवाई जारी रखी।
Bulldozer action at Mahamaya Pahad: हाईकोर्ट की रोक
अतिक्रमणकारियों ने प्रशासन से और समय की मांग की, लेकिन प्रशासन ने किसी भी प्रकार की सहमति नहीं दी। दोपहर तक 40 घरों को तोड़ दिया गया, और अतिक्रमणकारी परिवार अपने घरों को ध्वस्त होते देख उदास और परेशान हो गए। परिवारों के सामान खुले मैदान में रखवाए गए। इस दौरान पीड़ितों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, और अर्जेंट हियरिंग की अपील की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कार्रवाई पर 5 दिनों के लिए रोक लगा दी है।
Bulldozer action at Mahamaya Pahad: बेघर हुए कई परिवार
इस कार्रवाई के बाद प्रभावित परिवारों के लिए रात बिताना मुश्किल हो गया। कड़ाके की ठंड में परिवारों को खुले मैदान में या टेंट में शरण लेनी पड़ी।
महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण का यह मामला 2017 से चल रहा था, जब 60 परिवारों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद भी राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई थी। 2022 में भाजपा नेता आलोक दुबे ने फिर इस मुद्दे को उठाया और जांच में 468 अतिक्रमणकारियों के नाम सामने आए। इसके बाद कार्रवाई शुरू की गई।
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